पूर्णिमा को आशीर्वाद देते हुए वे दम्पति वहाँ से चले गये |बेटी के भविष्य की चिन्ता पूर्णिमा को पहले से ज्यादा मेहनत करने के लिए प्रेरित कर रहा था | बेटी की चिन्ता मे उसे अपना भी ध्यान न रहा | एक दिन उसे पता चलता है कि वह दुबारा माँ बनने वाली है, यह सुनकर उसपर पहाड़ टूट पड़ा हो मानो, अपनी परिस्थिति और बेटी के भविष्य को देखते हुए वह गर्भपात का फैसला कर लेती है | यहाँ भी उसका दुर्भाग्य बाजी मार ले जाता है | डॉक्टर यह कहते हुए मना कर देती है कि समय अधिक