अपने-अपने कारागृह - 10

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अपने-अपने कारागृह -9 दूसरे दिन की उनकी लखनऊ की फ्लाइट थी । एयरपोर्ट पर फूल मालाएं लिए लगभग पूरा ऑफिस ही उपस्थित था । अजय के प्रति सब का आदर देखकर उषा मन ही मन गदगद थी । वहीं शुचिता, रीना, सीमा ,ममता उसे फूल मालाएं पहनाते हुए उससे भूल न जाने तथा कभी-कभी आने का आग्रह कर रही थीं । वह जानती थी यह सब फॉर्मेलिटी है वरना कब कौन दोबारा आ पाता है !! पता नहीं अब किसी से मिलना हो पाएगा या नहीं ...बार-बार रुपाली की बातें मन को मथ रहीं थीं । उषा को दुख तो उसे इस