दोस्ती से परिवार तक - 6

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रिया ने फ़ोन एक तरफ पटका और फटाफट चल पड़ी मनीष के पास…इधर मनीष इतनी लम्बी दौड़ के बाद अभी भी हाँफ़ रहा था वो वहीँ फुटपाथ पर जाकर बैठ गया और सोचने लगा की हम कितनी खुशी से जा रहे थे और ये क्या हो गया…..वो अपनी गहरी सोच मे डूब गया और गाड़ियों को गुज़रते हुए देखने लगा….वो चुप चाप बैठा ज़ब अपनी सोच मे खोया हुआ था तभी अचानक किसी ने उसके पीछे से उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोला…"मनीष!"उसे एक पल के लिए लगा की, ये आवाज़ शायद उसका कोई वहम है….इसलिए उसने पीछे मुड़कर