नविता की कलम से... - 7 - रिश्तों का बोझ

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??रिश्तों का बोझ??रिश्तों का बोझ कुछ ,कम करो lगिरी हुई दीवारों की दरारों से ,सांस नहीं आती lटूटे घर के मलबे में दबे पड़े हैं,जिस्म अपने lरूहों के जख्मों को ,चैन से रात भर नींद नहीं आती lये कहानी है लवली की , जिसने अपने रिश्तो को निभाया l पर ज़िन्दगी मे अपने रिश्तो को अच्छे से निभाने के लिए , चला गया गलत राहों पर lलवली बहुत ही हँसमुख नेचर का लड़का है l हर वक़्त सब को हँसना-हँसाना उसे अच्छा लगता है l. हर कोई उस से बात करने मे इतना ख़ुश रहता, की सब उसी के