मैं भारत बोल रहा हूं-काव्य संकलन - 6

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मैं भारत बोल रहा हूं 6 (काव्य संकलन) वेदराम प्रजापति‘ मनमस्त’ 19.गीतः- यतन येसे करो प्यारे यतन येसे करो प्यारे, सभी साक्षर जो हो जाये। धन्य जीवन तभी होगा, निरक्षरता मिटा पाये।। अनेकों पीढ़ियाँ वीती, जियत दासत्व का जीवन। बने साक्षर हमी में कुछ, गुलामी तब भगा पाये।। अभी आजाद हो कर भी, निरक्षरता गुलामी है। यहीं अफसोस हैं प्यारे, इसे कब दूर कर पायें।। प्रशिक्षण हैं इसी क्रम में, चलें हम कर कलम लेकर रहेगा नहिं अंधेरा अब, जो साक्षर रवि-