राघव आज बहुत उदास था। वह अपने फ़ोन में अपने ऑफिस और कॉलेज के दोस्तों की अपने माता पिता, अपने परिवार के साथ दिवाली की तस्वीरें देख रहा था जो उन लोगों ने सोशल मीडिया पर शेयर की थी। वह एक के बाद एक सबके पोस्ट लाइक कर रहा था पर उसके पास शेयर करने के लिए कुछ भी नहीं था। राघव ने जबसे होश संभाला था खुद को "पहली किरण" नाम के एक अनाथाश्रम में ही पाया था। वहाँ के दूसरे बच्चों के साथ-साथ, ५ साल की उम्र में राघव का दाखिला भी पास के ही एक सरकारी स्कूल