चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 16

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चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (16) अपने पाठक के प्रति उनका रवैया काफी शालीन और समाधान परक रहता था, और शायद यह आंशिक रूप से उनका गुण था जो उनके व्यक्तिगत मृदुल चरित्र को उन लोगों के सामने भी प्रस्तुत कर देता था, जिन्होंने उन्हें कभी देखा नहीं। मैं भी इसे एक उत्सुकता भरा तथ्य मानता हूँ कि जिसने जीव विज्ञान का रूप ही बदल दिया, और इन अर्थों में जो आधुनिकतावादियों का मुखिया बन गया, उसने इतने गैर आधुनिक तरीके और भावना से एकदम दकियानूसी बातें लिखी होंगी। उनकी किताबों को