यादों के झरोखे से Part 2

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यादों के झरोखे से Part 2 ================================================================ मेरे जीवनसाथी की डायरी के कुछ पन्ने - मैट्रिक , प्री यूनिवर्सिटी और इंजीनियरिंग में एडमिशन और चीनी आक्रमण ================================================================== 7 मई 1961 करीब दो महीने कलकत्ता में बिताने के बाद आज मैं जमशेदपुर लौट रहा था . मेरा बोर्ड का रिजल्ट किसी भी दिन आ सकता है . बड़े बाबा हावड़ा स्टेशन पर छोड़ने आये , बोले “ टाटा स्टेशन पर कोई गड़बड़ तो नहीं करोगे . “ “ नहीं बड़े बाबा , वहां तो सब जाना पहचाना है . वहां से सीधे बस से बिष्टुपुर घर चले जाएंगे . “ मैंने