मुकम्मल मोहब्बत -16नैनी झील से घर वापस आते हुए ,मेरा मन भी अच्छा नहीं था. शायद ,मधुलिका की उदासी मेरे ऊपर हाबी हो गई थी. चहकने वाली चिड़िया अपने पंखों में सिमट जाये तो उसकी खैरियत की चिंता तो होगी ही.मुझे उसका इस मनस्थिति में अकेले घर जाना अच्छा नहीं लग रहा था.लेकिन, मुझमें इतना साहस न था कि मैं उसे घर छोड़ने की बात कह सकूं. कहीं उसकी ममा.... पहले ही वह बादल का दर्द सह रही है. मुझे लेकर कोई शंका उठी तो कैसे सह पायेगी. वैसे भी छोटी -छोटी बातों को लेकर इमोशनल हो जाती