सुबह नौ बजे के आसपास स्वप्निल की आंख खुली उसने एक नजर अपने पास सो रही मीरा पर डाली। कितनी शांत और सुंदर लगती है वो सोते वक्त। मानो जैसे बोलना आता ही ना हो इसे पर उतनी ही खतरनाक हैं जब झगडा करती है। अपने इन्हीं ख़यालो पर लगाम लगा वो असलियत में वापस आ गया।" हे भगवान ये क्या हो गया मुझसे। शादी । कैसे कर सकता हूं में ?" वो तुरंत बिस्तर से उठ अपने कमरे में चला गया। कमरे में जाते ही उस की नजर समीर पर पड़ी। दोनों एक दूसरे को देखते ही गले मिले।समीर :