सुलझे...अनसुलझे - 12

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सुलझे...अनसुलझे परिवार यह बात सन 2001 की है| जब एक दिन अचानक ही मेरा मन हुआ कि कुछ समय उन अनाथ बच्चों को भी दिया जाये| जिनके भी शायद कुछ अनसुलझे अन्तरद्वंदों हो और मैं उनको सुलझा पाऊं| इसी विचार ने सवेरे से मेरे मन को घेर रखा था| चूँकि उस समय मैंने पी.एचडी करने का भी मानस बनाया हुआ था तो सोचा कि अगर संम्भव हुआ तो अपने शोध का विषय भी निश्चित कर लूंगी| जब मैं अनाथाश्रम में पहली बार वहां के संचालक से मिली तो उनसे मिलना एक ईश्वरीय संजोग था| वह एक ऐसे व्यक्तित्व के धनी