होड़ किशोर का दुर्भाव और अपना अभाव बार-बार मेरे सामने आ खड़ा होता है| मेरा उस से ज़्यादा पॉइंट हासिल करना क्यों गलत था? किशोर क्यों सोचता था मैं अपने को मनफ़ी कर दूँ? घटा लूँ? उससे कमतर रहने की चेष्टा करूँ? क्योंकि धोबी मेरे बप्पा मामूली चिल्हड़ के लिए बेगानों के कपड़े इस्तरी किया करते हैं? क्योंकि मेहरिन मेरी माँ मामूली रुपल्ली के पीछे बेगानों के फ़र्श और बरतन चमकाया करती हैं? क्या हम एक ही मानव जाति के बन्दे नहीं? एक ही पृथ्वी के बाशिन्दे? मुकाबला शुरू किया मेरे कौतुहल ने! “सिटियस,’ ‘औलटियस,’ ‘फौर्टियस’ शाम पाँच बजे प्रिंसीपल