उजासवह अंततः आज ऑपरेशन-टेबल पर आ पहुँचा था, दिल संबंधी बीमारियों के वार्ड में वह हजारों-हजार, शंका-कुशंकाओं से भरा चुपचाप लेटा था। सर्जन की प्रतीक्षा हो रही थी। अलबत्ता उसके घर के लोग, जिसमें पत्नी व दोनों लड़के विपुल और संपुल शामिल थे, घबराये से खड़े थे। वह याद करने की कोशिश कर रहा था कि इस हालत में पहुँचाने में किन परिस्थितियों का सीधा-सादा हाथ था। उसे याद है, घर (यानी गाँव) से शहर आने तक तो वह बिलकुल ठीक था, उसके कान और दिल खूब तंदुरूस्त थे-उसके शरीर की तरह। पहले-पहल उसे अचानक चार माह पहले एक दिन