कालिदास के काव्य में सौन्दर्य विधान एक शौधपूर्ण कार्य रामगोपाल भावुक डॉ0 ललित किशोरी शर्मा द्वारा रचित एवं डॉ0 अनिल प्रकाश शर्मा द्वारा सम्पादित कृति विमोचन के अवसर से ही हाथों में रही। सौन्दर्य को परिभाषित करना बहुत ही कठिन कार्य है। इसमें प्रत्येक की अलग-अलग दृष्टि होती है। सम्भव है जिसे आप सुन्दर मानते है दूसरा उसको नकार दे। आदिकाल से ही मानव मन को सुन्दरता की तलाश रही है। कभी प्रकृति में सुन्दरता की खोज करता रहा तो कभी नारी सौन्दर्य में। सौन्दर्य की कल्पना मानव के जन्म