कहानी पंचमहली गंध रामगोपाल भावुक मोहल्ले के बच्चे उसे काफी कहते हैं। वह कभी निराश नहीं दिखती थी। जब से पन्ना बीमार पड़ा है, वह खोई-खोई रहती है। यह सोचती रहती है-एक-एक करके तीन बच्चे पैदा हुए तीनों चल बसे। सोचा था-पेड़ रहेगा तो फल लग जाएंगे। अब तो पति की ही खराब स्थिति हो गई, उसे लगने लगा-‘अब वे बच नहीं पाएंगे। डाक्टरों ने जवाब दे दिया। फेफड़े गल गए हैं।‘ तभी से वह निराश रहने लगी। पति की सेवा-सुश्रूशा में कमी न रखती थी। ज बवह किसी काम से निकल जाती तो पन्ना सोचने