चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा - 12

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चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (12) उनकी साहित्यिक रुचि और अभिमत उस स्तर के नहीं थे, जितना तेज़ उनका दिमाग़ था। वे खुद भी सोचते थे कि जिस बात को वे अच्छा समझते थे उसके बारे में पूरी तरह स्पष्ट थे। वे मानते थे कि साहित्यिक रुचि के मामले में वे किसी दूसरी दुनिया के थे, और इसमें से अपनी पसन्द और नापसन्द के बादे में भी बताते थे, साहित्यिक लोगों के बारे में तो वे कहते थे कि इस सम्प्रदाय से उनका कोई नाता नहीं है। कला के सभी मामलों पर