मुकम्मल मोहब्बत -15

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मुकम्मल मोहब्बत -15"आखिर एक दिन ममा को मानना ही पड़ा कि जाति-बिरादरी से भी ऊँची कोई चीज होती है.वह है-किसी की जान बचा ले जाना अपनी जान की परवाह किए बगैर. किसी की मुसीबत को अपने सीने पर झेल जाना.बिना किसी रिश्ते के,बिना किसी लालच के.दूसरों के दुख को अपना दुख समझना. दूसरों की खुशी को अपनी खुशी. रोते हुए चेहरे पर मुस्कुराहट लाकर खुद मुस्कुराना....""तुमने ममा को बताया होगा कि बादल ने कैसे जेवलिन का बार अपनी हथेली पर सहकर तुम्हें बचाया.""उस दिन मेरी स्कर्ट में लगा खून देखकर ममा बहुत डर गई थीं. उन्हें लगा यह मेरे