आराधना के माथे पर चिंता की लकीरें थी रह -रह कर उसके मन मे ख्याल आता रहा। मनीष ने अब तक उससे बात नही की, हाल- चाल तक नही पूछा, कोई नाराजगी नही फिर भी उसके साथ ऐसा बर्ताव क्यों? और आज फिर अचानक से इस असहनीय पीड़ा का क्या मतलब था? उसने तो कोई नयी मेडिसिन नही ली जिसका कोई साइड इफेक्ट हो। ................................................ गरियाबंद का डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल जहाँ चारों ओर चहल-पहल थी। पहली बार मनीष के बगैर आराधना ने अपने पाँव बाहर रखे थे और वो भी किसी और के साथ। आसपास नजरें दौड़ाती और सकुचाती हुई वह