7. तौफीक अहमद साहब ने उसे तुरंत अपने केबिन में बुला भेजा था और खड़े होकर हाथ मिलाते हुए कहा था – “खुशआमदीद राशिद, आपके बारे में मुझे सबकुछ बता दिया गया है। इतनी जहीन शख्सियत को इस महकमे में मुलाजमत देकर हम आप पर कोई अहसान नहीं कर रहे हैं। मैंने तो कादरी भाई को बता दिया था कि ऐसे लोगों की तो हमें शिद्दत से तलाश रहती है।“ “मेरी खुशकिस्मती है जनाब, जो आप मेरे बारे में ऐसा सोचते हैं और अपने मातहत काम करने और वतन की खिदमत करने का मौका अता फरमा रहे हैं। आपके मातहत