नियति... - 7

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अमर पूरे दो दिन बाद कोलेज आता है।वहीं मुझे भी बेसब्री से इंतजार होता है अमर के कोलेज आने का।उसे देख मेरे मुरझाए चेहरे पर रौनक खुद ब खुद लौट आती है।अमर को देख मै उसकी तरफ अपने कदम बढ़ा देती हूं और अमर के पास पहुंच जाती हूं।उस पल मेरे लिए वक़्त मानो रुक सा गया हो। इन दो दिनों में आंखे तरस गई थी उसे देखने के लिए।उसे देख कर मेरी आंखे खुशी से बरस पड़ती हे।अमर बस मुस्कुराते हुए मेरे चेहरे की तरफ ही देखता जा रहा था।और मै अपने आंसुओ के जरिए उससे मौन रहकर बाते