दोपहर को मैं अचानक बैठे - बैठे समीर के उठाए हुए उस मुद्दे के बाबत सोचने लगा कि आख़िर उसे एकाएक लड़कियों की गिरफ़्तारी और रिहाई में इस तरह की दिलचस्पी क्यों पैदा हो गई? वह इस सारे मामले से किस तरह जुड़ा है। ज़ाहिर है कि मीडिया की एक सामान्य न्यूज़ और एक छात्र की जनरल नॉलेज का मामला तो ये दिख नहीं रहा था। आधी रात को मुझे वीडियो कॉल लगाकर इस तरह की शंका उठाना कोई साधारण सी बात तो हो नहीं सकती थी। क्या था? क्यों था? जानने की इच्छा जागी। लेकिन अब मैं फ़ोन लगा