लता सांध्य-गृह - 5

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पूर्व कथा जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें। पंचम अध्याय-----------------गतांक से आगे….--------------- पांचवें कमरे में रहते हैं पचपन वर्षीय अविवाहित नीलेश,मस्तमौला, बिल्कुल आजाद परिंदा।आप सोच रहे होंगे कि एक प्रौढ़ व्यक्ति को वृद्धाश्रम में रहने की आवश्यकता क्या पड़ गई।तो उनकी कहानी कुछ यूं है--- नीलेश के पिता एक उच्च व्यवसायी एवं मां एक अत्याधुनिक महिला थीं।पिता धन कमाने में व्यस्त रहते तथा मां अपनी पार्टियों एवं कथित समाजसेवा में। जब दौलत बेहिसाब होता है और कोई रोक-टोक करने वाला न हो तो बच्चों के कदम बहकने से कौन रोक सकता है।पढ़ाई--लिखाई में तो नीलेश का