कहानी मौजी रामगोपाल भावुक सूर्य डूबने को हो रहा था। चरवाहे पशु लेकर घर लौ पड़े थे। गाँव के लोग अपने पशुओं को लेने, गाँव के बाहर हनुमान जी के मन्दिर पर प्रतिदिन इकट्ठे हो जाते हैं। मन्दिर के चबूतरे से, जो छः-सात फीट ऊंचा होगा, उस पर खड़े होकर पशुओं के आने की दिशा खोज लेते हैं। मौजी ऐसे वक्त पर जब-जब इस जगह से निकलता है उसे वर्शों पुरानी घटना ताजा हो जाती है, जब वह पहले पहल इस गाँव में आया था। पत्नी गंगो उर्फ पचरायवारी उसके साथ थी, भाई रन्धीरा तथा दो बच्चों