મારા કાવ્ય

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1.तड़पतेरे इश्क ने ये हालत कैसी कर दी मेरी ये जालिम।दरबदर भटकते रहेते हम तुम्हें भूलने को रात दिन।हम तो मयखाने में भी जाते है तुम्हे भुलाने के लिए।कमबख्त शराब की हर एक बूंद में भी तुम ही नजर आए।कोई क्या समझेगा हालत मेरी जो इस रास्ते से नहीं गुज़रा।जो गुज़रा है उसे ही तो ज़रा सी कदर नहीं मेरे प्यार की।तुमसे मोहब्बत करने का गुनाह ही तो किया था।इसलिए तुमने पल पल मरने की सजा मुझे देदी।सोचा कुछ तो ऐसा करू जिसे तुम्हे मुझ पर प्यार आए।पर तुम बेवफ़ा किसी और का हाथ पकड़ कर चले गए।अब और कितना