चार्ल्स डार्विन की आत्मकथा अनुवाद एवं प्रस्तुति: सूरज प्रकाश और के पी तिवारी (9) मुझे ऐसा भी लगता है कि मेरे दिमाग में कुछ खराबी भी थी, जिसके कारण मैं पहले तो किसी कथन या तर्क वाक्य को गलत रूप से या बेतरतीब ढंग से प्रस्तुत करता था। शुरुआत में तो मैं अपने वाक्य लिखने से पहले सोचता था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मैंने पाया कि पूरा पृष्ठ बहुत ही तेजी से और शब्दों को अर्धरूप में लिखते जाने में काफी समय बचता है, और बाद में इनका संशोधन करना आसान रहता है। इस तरीके से लिखे गए वाक्य