भाग - 13 मिस्टर अग्रवाल की ये बातें सुनकर आराधना फूली न समायी और सोंच कर ही पागल सी हो गयी। शायद ये किसी सपने से कम न हो, पर सपने भी तो एक दिन सच हो सकते हैं न। लेकिन अचानक से ये सब कैसे ? शायद ये उसकी प्रार्थनाओं का ही असर है लगता है इस बार भगवान ने उसकी विनती स्वीकार कर ली। इतनी बड़ी खुशखबरी वह बिना मनीष से साझा किये कैसे रह सकती थी ? एक बेटा जो अपनी माँ और बहन के प्यार के लिए तरस रहा था शायद उसे सब कुछ मिल