कृति आलोचना की अदालत कथाकार श्री राजनारायण बोहरे जी सम्ंपादक के.बी.एल पाण्डेय जी उदीप्त प्रकाशन लखमीपुरा खीरी उ.प्र. समीक्षक वेदराम प्रजापति मनमस्त कृति आलोचना की अदालत पठन हेतु प्राप्त हुई तीनो कहानी संकलनो पर प्रबुद्ध समीक्षको का गहन चिंतन मिला समालोचको के निर्णायक निर्णयों ने कृति को साहित्यिक धरोहर बना दिया है। कहानियों में बोहरे जी खूब गहराई तक डूबे हैं। समीक्षाओं के चयन में सम्पादक श्री पाण्डेय जी का विशेष परिश्रम दिखाई देता है। क्रम संयोजन विवेकपूर्ण रहा। ‘‘आलोचना की अदालत’’ का आवरण पृश्ट अभिनव लगा जो तुलनात्मक न्याय परोसता है। अदालत की दोनों तुलायें सब कुछ दर्शा