ऐसा तो न सोचा था !!-------------------------- यूँ उसकी रुकमा से कोई ऐसी दोस्ती नहीँ थी कि वह इतने अन्तराल के पश्चात उसेउसकी एकदम याद आ जाती । परन्तु जब मामी जी का फ़ोन आया और उसके हाल-चाल पूछने के पश्चात् उन्होंने उससे अचानक ही पूछ लिया :-"तुम्हें रुकमा याद है मीनू ?" उसे अपनी ज़िंदगी के पच्चीस वर्षों के पृष्ठ पलटने में खासा समय लग गया । उसके सामने धुंधली सी गर्द भरी गलियाँ गुज़रने लगीं जिन्हें झाड़ते-पोंछते वह किसी प्रकार उस गली में जा खड़ी हुई जहाँ रुकमा की ससुराल थी