एक पाती माता पिता के नाम अन्नदा पाटनी पूज्य बाबूजी व अम्माँ, सादर प्रणाम । यह जानते हुए भी कि आप हमारे बीच में नहीं है, न हीं आप हमें देख सकते हैं और न ही सुन सकते है, फिर भी आपको पत्र लिखने को मन कर आया । आज हमारे पौत्र राघव के दसवीं के बोर्ड के एग्ज़ाम शुरू हो गए । जितनी घबराहट उसको थी, उस से कहीं ज़्यादा अकुलाहट हम को थी । पर सोचा दही चीनी उसे खिला कर आशीर्वाद दे देंगे तो परीक्षा में बढ़िया नंबर आ ही जाएँगे । कमरे में बैठी राघव का