मन की बातें ।_मुकेश राठोड़ ।************ शायराना अंदाज से।=====================================क्या जानू ।*************** कैसे मिली तनहाई क्या जानू ; दर्द है या दवाई क्या जानू ? । कोई रूठी हुई है मुुजसे भी; परी है या परसाई क्या जानू ? । बादलों में छाई है काली घटा?या जूल्फ उसने लहराई क्या जानू ? ।भरोसा नहीं था मेरे प्यार का ! की ऐसे ही फड़फड़ाई क्या जानू ? ।सामने मिली कुछ इस तरह से,की कैैसे नज़र टकराई क्या जानू ? ।***********************************************जरुरी तो नहीं।*******************कोई हमसे प्यार करे , जरुरी तो नहीं ;अपना दिल दुश्वार करे, जरुरी तो नहीं !सब, अपने मर्जी के मालिक है