उपन्यास अपने-अपने रामः भगवानसिंह कुछ और परिश्रम की जरूरत थी कुछ मिथक और चरित्र किसी जाति, कौम और धर्म की मिल्कियत बन जाते हैं, जबकि कुछ मिथक, चरित्र और धर्म सार्वजनिक होने के कारण हरेक व्यक्ति का प्रहार सहने को मजदूर होतें है। राम और रामकथा का मिथक भी ऐसा ही है। भारत की हर भाषा में रामकथा लिखी गई है और हरेक लेखक ने उसमें कुछ न कुछ परिवर्तन जरूर किए हैं, दरअसल ऐसी कृतियों में उन लेखकों की दृष्टि ही साफ तौर पर प्रगट होती है। हिंदी के कथा साहित्य में कुछ दिनो पहले नरेन्द्र