चाणक्य नीति - 4

  • 10.3k
  • 7
  • 3.3k

चाण्क्यनिती भाग—4 श्रवण करने से धमर्ं का ज्ञान होता है, द्वेष दूर होता है, ज्ञान की प्राप्ति होती है और माया की आसक्ति से मुक्ति होती है. पक्षीयों में कौवा नीच है. पशुओ में कुत्ता नीच है. जो तपस्वी पाप करता है वो घिनौना है. लेकिन जो दूसरो की निंदा करता है वह सबसे बड़ा चांडाल है. राख से घिसने पर पीतल चमकता है . ताम्बा इमली से साफ होता है. औरते प्रदर से शुद्ध होती है. नदी बहती रहे तो साफ रहती है. राजा, ब्राह्मण और तपस्वी योगी जब दुसरे देश जाते है, तो आदर पाते है. लेकिन औरत