पुस्तक समीक्षा- ग्रामीण स्त्री की महागाथा - अगनपाखी समीक्षक - राजनारायण बोहरे अगनपाखी उपन्यास कथा लेखिका का मैत्रैयी पुष्पा का नया उपन्यास है और इस उपन्यास को लेखिका के रचनात्मक विकास की सीड़ी दर सीड़ी ऊँची उठती क्षमता का परिचायक माना जा सकता है, उपन्यास पढ़ते समय लगातार यह आभास भी होता रहता है। उपन्यास “चाक से मोड़ लेती लेखिका के कथ्य की शैली और दिशा यहां आकर स्त्रिीयों के स्वनिर्णय के अधिकार के पक्ष में जोरदार वकालत करती हैं समाज द्वारा वर्जित संबंधो के दायरे में प्रवेश करते भुवन और चन्दर सिर्क स्त्री और पुरूष बने रह जाते हैं, जो तमाम