विरहिणी राधा-. राजा मीरेन्द सिंह ;मगरौरा. ग्वालियर चिंतन झरोखे से एक दृश्य वेदराम प्रजापति मनमस्त पृष्ठांकन सहित अस्सी पृष्ठीय काव्य कृति विरहिणी राधा राजा मीरेन्द सिंह जू देव जी की साहित्यिक अनूठी धरोहर बन पड़ी है। जिसकी शालीनता और व्यापकता पर राष्ट कवि मैथलीशरण गुप्त जी की बधाई के दो शब्द ही साहित्य की गरिमा में बहुत कुछ है। यह आशीर्वाद कवि की अन्तर दृष्टि को इतना प्रभावी बना गया कि जीवन काव्यधारा में कई कृतियों का सृजन हो गया। कवि ने दो शब्दों मे अपने जीवन के सभी उदगाारों की संक्षेपिका रख