कामनाओं के नशेमन - 12

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कामनाओं के नशेमन हुस्न तबस्सुम निहाँ 12 ‘‘मैं जा रहा हूँ मेडिकल कॉलेज।‘‘ अमल ने बहुत तेजी के साथ कहा। ‘‘कैसे जाएंगे आप...? उन्होने थोड़ा ठिठकते हुए कहा- ‘‘इस वक्त टैक्सी भी मिलना बहुत मुश्किल है। मैं औरत थी किसी तरह पुलिस पी.एस.सी. से गिड़गिड़ा कर यहाँ चली आई। इस जमाने में किसी की नीयत का क्या भरोसा।‘‘ तब अमल ने जैसे उनकी बातों से निरपेक्ष होते हुए कहा- ‘‘पैदल जाऊँगा...वहाँ बाबू जी न जाने किस हालत में हों। ऐसे मौकों पर वहाँ बड़ी लापरवाही होती है। मन बहुत डर रहा है।‘‘ ‘‘चलो, मैं भी साथ चलती हूँ।‘‘ उन्होंने बहुत