भभूत ललाट ब्रहमभट्ट.जो बाप ऐसा खतरनाक नाम अपने बेटे का रख दे उस बाप से बेटे का जन्म भर का बैर तो रहेगा ही. शुक्र था कि दादी ने शुरू से ही कह दिया था-इसे हम ओम कह कर पुकारेंगे. पिता बैंक की नौकरी करते थे और कड़क धार्मिक थे. मूलाधार, सात चक्र, कुंडलिनी, इंगला-पिंगला, ओह्म उनकी डिक्शनरी के रोजाना के शब्द थे.बरकोट जैसे कस्बे में उनके घर-आंगन में ओह्म शब्द यूं गूंजता था कि पता लगाना मुश्किल होता था कि भभूत ललाट ब्रह्मभट्ट को पुकारा जा रहा है या ईश्वर की आराधना हो रही है.बचपन से ही ओम के लिए ध्यान पर बैठना और सात चक्रों को साधना या उसका