चारों ओर अन्धेरा छा गया था और झींगुर की आवाजें सुनाई दे रहीं थीं कि तभी किसी की पायल बजने की आवाज आई| जिसे सुनकर सबकी घिघ्घी बंध गयी| बब्बन हलवाई ने बाल्टी को सरकाते हुये वर्मा जी से कहा “ लगता है वो चुडैल आ गयी, अब जाओ... बाल्टी लो और नल पर लगाओ जाके और हां जईसे ही चुडैल तुम्हारी नकली चोटी काटे तुम उसे कस कर पक़ड कर आवाज लगाना हम बेताल बाबा की दी भभूत उस चुडैल पर डाल देंगे|” वर्मा जी का कलेजा कांप रहा था उन्होने एक एक कर सबकी ओर देखा तो