भाग - 10 " चुप पगले ! पापा को थैंक यू बोलता है। तेरे लिए तो जान भी हाजिर है " " नही पापा ! जान बचाकर रखो अभी मम्मी और शीतल को भी मनाना है " " बदमाश ! अरे आरधना बेटी ,अंदर तो आओ अब " मिस्टर अग्रवाल ने मुस्कुराते हुए आराधना को अंदर बुलाया। धीरे - धीरे आराधना अपने कदम बढ़ाने लगी। भले ही ये घर किराये का हो और स्वागत के लिए उसकी सास मौजूद न हो पर किस्मत मे जो लिखा है उसे