मुक्म्मल मोहब्बत - 8

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मेरे दिमाग के सारे चेनलों में बस एक ही नाम की धूम मची थी-मधुलिका.... मधुलिका... मधुलिका. वह मेरे दिलोदिमाग में इस कदर हाबी थी कि नींद में भी उसका चेहरा मेरी आँखों के आगे से नहीं हटा था.मेरा क्या जिसने भी उसे देखा होगा उसका यही हाल हुआ होगा. वह है ही बला की खूबसूरत. अजीब सा आकर्षक है, उसमें. एक मदहोश कर देने वाला नशा.सोचता हूँ, अभी अधखिली कलीहै.खिलकर फूल बनेगी तब....तब शायद आग लगा देगी हर जवां दिल में. मन में एक संशय उठा. जिसे मैं अनछुई कली समझ रहा हूँ कहीं वह किसी ऐसी जगह