सुलझे...अनसुलझे - 3

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सुलझे...अनसुलझे अपने ------- अपने अस्पताल में काउंसिलर के रूप में काम करते हुए मुझे कई साल हो गए थे। काफी देर तक मरीज़ देखने के बाद, जब थकने लगी तो सोचा एक चक्कर कॉरिडोर का लगा कर आऊँ। बस यही सोचकर चेम्बर से बाहर निकल आई। तभी आई. सी. यू. के बाहर एक मरीज़ की परिचिता को तेजी अंदर प्रविष्ट होते हुए देखा जिसके हाथ में छः से आठ माह का बच्चा था और उसके चेहरे पर हवाइयां उड़ती हुई दिखाई दी। मैं तीन या चार बार उधर से गुजरी मैंने उसको बदहवास हाल में तीन-चार चक्कर सीढ़ियों से ऊपर-नीचे