जवाहर जी और रत्ना अपने बेटों बाल और गोविन्द से बात कर निश्चिंत हो गए की उन्हें कोई ऐतराज़ नहीं है । ये फैसला किया दोनों ने कि अगले सन्डे अरविंद और सावित्री को अपने घर बुलाया जाएगा ,फिर उनसे रिश्ते की बात की जाएगी। इतनी देर सब्र रखना मुश्किल था पर ऐसी बाते बिना आमने सामने बैठे नहीं हो सकती । फोन पर तो बिल्कुल भी नहीं हो सकती थी।