जिंदगी मेरे घर आना भाग – २३ स्कूल में तो नेहा बिलकुल व्यस्त रहती पर घर आते ही ख्याल आता कहीं शरद फिर से न आ धमके. वो देर तक साड़ी नहीं बदलती.साड़ी बदलती भी तो पहले की तरह गाउन नहीं पहनती, एकाध बार शीशे में भी झाँक लेती, बाल ज्यादा तो नहीं बिखरे हुए. फिर खुद से ही पूछती वह शरद के प्रति इतनी उदासीन है तो फिर अपने रख रखाव का इतना ख्याल क्यूँ रख रही है और फिर खुद ही जबाब दे देती, सलीके से तो रहना ही होगा...एकदम लद्धड़ सी तो नहीं रह सकती न. पर