पूर्व कथा को जानने के लिए पिछले अध्याय अवश्य पढ़ें… तृतीय अध्याय--------------गतांक से आगे…. रमेश जी एवं अभय जी एक कमरे में रहते हैं, वे अभिन्न मित्र होने के साथ साथ समधी भी हैं।उनकी प्रथम मुलाकात हुई थी जब उन्होंने स्नातक में प्रवेश लिया था, रमेश जी मैथ से थे एवं अभय जी बायो के विद्यार्थी, परन्तु फिजिक्स दोनों का कॉमन सब्जेक्ट था।मित्रता होने के लिए पूरे दिन के साथ की आवश्यकता होती भी नहीं है। जहां रमेश शांत प्रकृति के व्यक्ति थे वहीं अभय वाकपटु, किंतु दोनों में एक बात जो समान थी पढ़ाई के प्रति