एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त - 9

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एक पाँव रेल में: यात्रा वृत्तान्त 9 9. मल्लिकार्जुन की पहाड़ियाँ ’ यात्रायें आदमी को आन्तरिक शक्ति का बोध करातीं है। जब जब यात्राओं का प्रोग्राम बनाते है, मन कुलाचें भरने लगता है। मेरा और रामवली सिंह चन्देल का मल्लिकार्जुन के दर्शन करने का प्रोग्राम बन गया। डबरा से कोई ट्रेन हैदराबाद के लिये नहीं थी। इसलिये झाँसी से हेदराबाद का रिजर्वेशन कराना पड़ा। यह ट्रेन रात के समय थी इसलिये हमें डबरा से बुन्देलखझड एक्सप्रेस से चलकर झाँसी स्टेशन पर पड़ाव डाल लिया। रात एक बजे वहाँ से ट्रेन पकड़ली। यात्रा लम्बी थी। दूसरे दिन सुवह पाँच