नैनीताल आकर नैना देवी के मंदिर न जाऊं ऐसा हो नहीं सकता .वैसे मैं पूजा-पाठ नहीं करता. कभी भगवान के नाम की धूप, दीप भी नहीं जलाता. मेरे फ्लैट में किसी भगवान की फोटो या मूर्ति भी नहीं है. लेकिन, कहीं दूसरे शहर घूमने जाऊँ और राह में कोई मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारा दिख जाये तो मत्था जरूर टेक लेता हूँ. वह भी पूरी श्रद्धा के साथ. नैनीताल आकर भी एक बार नैनादेवी के मंदिर जरूर आता हूँ. आज भी इसी उद्देश्य से चला आया. मैंने देवी के आगे मत्था टेका. आँख बंद कीऔर हाथ जोड़कर खड़ा हो गया.