30 शेड्स ऑफ बेला - 30 - अंतिम भाग

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30 शेड्स ऑफ बेला (30 दिन, तीस लेखक और एक उपन्यास) Day 30 by Sudarshana Dwivedi सुदर्शना द्विवेदी एक थी बेला " मैं मर जाऊंगा, भूख से जान निकल रही है मेरी। और सब तेरी वजह से रोहित।" भुक्कड़ ने सचमुच पेट पकड़ रखा था। रोहित बिना उसे देखे आगे बढ़ गया, मगर इला उसके पास रुक गयी। "थोड़ी हिम्मत कर, ज़रूर कुछ मिलेगा। कोई तो रहता होगा यहां।" "भूत ,भूत रहते होंगे और वे हमें खाना देंगे नहीं, खाना बना लेंगे। कितना कहा था उस पकोड़ी वाले की दुकान पर रुक जाते, मगर उसका तेल काला था। काला था