नविता की क़लम से ... - 2

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?बचपन की यादों की क़िताब का पन्ना ?सबसे सुनहरा पल है बचपनबीते कल का सुकून है बचपन।बैर, द्वेष से कोसो दूरकोई चिंता की न थी होड़केवल खेल-खिलोने थे भाते,दोस्तो संग खुब समय थे बिताते।वो बचपन के खेल खूब याद आते।बचपन के वो दिन , जब ना था मोबाइल फ़ोन, ना होता था कलर टी.वी. l कितना अच्छा था वो बचपन , जिसको याद कर वो बचपन फिर से जीने का मन करता है l" बेटा मोबाइल मत देखो , आँखें ख़राब हो जायेगी ." कहा सुनते है ये बच्चे l. हर समय टी. वी. ,मोबाइल और विडिओ गेम्स l कैसा