मुकम्मल मोहब्बत - 5

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माथे पर हाथ के स्पर्श का एहसास हुआ तो पलकें खुद-व-खुद खुल गईं.जोशी आंटी माथे पर हाथ रखे पूँछ रही थीं-"नील,बेटा, तबीयत तो ठीक है?" मैंने आँखें खोलीं तो अपनी स्थिति का भान कर झेंप गया. कपड़ें चेंज करना तो दूर की बात जूते तक नहीं खोले थे."सफर की थकान थी.लेटा तो आँख लग गई. मैं ठीक हूँ."मैंने उठते हुए कहा."अच्छा, तुम नहा लो.तरोताजा हो जाओगे. मैं तुम्हारे लिए चाय के साथ प्यार की पकौड़े तलती हूँ."वह आश्वत् होकर बोलीं."अरे,आंटी, क्या करेगीं पकौड़े बनाकर. अंकल खायेंगे नहीं. मैं चाय के साथ नमकीन और बिस्किट ले लूंगा."अंकल की बीमारी सुनकर