तानाबाना - 18

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तानाबाना 18 पाकिस्तान से पलायन से उपजी निराशा ने इस दम्पति को अभी तक अपनी गिरफ्त में कस कर जकङ रखा था । रवि एकदम वितरागी हो गया था , जङभरत । कोई उठा देता तो उठ जाता , खिला देता तो खा लेता , कपङे निकाल कर हाथ में पकङा देता तो नहाने चल देता और बाजार के सौदे की परची थमा दी जाती तो ताश खेलते लोगों के सिरहाने जा खङा हो खेल देख रहा होता । अक्सर परची खो जाती । रात को सोता तो डर कर चीखता हुआ उठ बैठता । हाथ में