नकटी - भाग-4

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सुबह सुबह ग्यारह बजे का समय था। चरण फाईनेंस के ब्रांच मैनेजर गुप्ता जी ऑफिस की फाइलें निपटाने में व्यस्त थे। किसी ने दरवाजा खटखटाया। गुप्ता जी ने गर्दन ऊँची की वहाँ एक लड़की खड़ी थी। “अरे कंचन, आओ आओ।“ “गुड मॉंर्निग अंकल” कंचन ने सामने की कुर्सी पर बैठते हुए कहा। गुप्ता जी ने पूछा "तुम्हारे पापा ने इस ऑफिस में लम्बी नौकरी की है। कैसे हैं आज कल?” "जी अच्छे हैं, आपको बहुत याद करते हैं।“ कंचन फिर रुक कर बोली "अंकल मैं एक व्यक्तिगत काम से आपके पास आयी हूँ।" "कहो बेटी , कुछ लोन चाहिए?" “नहीं अंकल, अंकल